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मॉर्निंग शो: ‘मुफ्त’ की घोषणाओं और ‘कभी न पूरे होने वाले’ चुनावी वादों पर क्या सोचता है मध्य प्रदेश का युवा?
11-11-2023
मॉर्निंग शो: ‘मुफ्त’ की घोषणाओं और ‘कभी न पूरे होने वाले’ चुनावी वादों पर क्या सोचता है मध्य प्रदेश का युवा?
न्यूज़लॉन्ड्री की टीम मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव की कवरेज के लिए ग्राउंड पर है. हर बार की तरह इस बार भी टीम "मॉर्निंग शो" के जरिए विभिन्न वर्गों के बीच जाकर उनकी राय जान रही है. मॉर्निंग शो के इस एपिसोड में हमारी टीम ने राज्य के ताजा चुनावी मुद्दों को लेकर युवाओं से बातचीत की. इसके लिए हमारी टीम भोपाल में स्थित जागरण लेक सिटी यूनिवर्सिटी परिसर पहुंची. इस दौरान छात्र-छात्राओं से विभिन्ना पार्टियों द्वारा ‘मुफ्त में सुविधाएं और सेवाएं दी जाने की घोषणाओं समेत चुनावी वादों पर खुलकर चर्चा की. कभी ना पूरे हो पाने वाले पार्टियों के चुनावी वादों, लोकतंत्र में बदलाव, बढ़ती बेरोजगारी आदि मुद्दों के के अलावा पिछले पांच वर्षों में शिवराज सिंह की उपलब्धियों पर भी युवाओं की राय जानी. साथ ही आरक्षण और जाति के मुद्दे पर भी उनसे बात की. बातचीत के दौरान महिला सुरक्षा का मुद्दा भी प्रमुख रहा. हमारी टीम ने ये भी जानने की कोशिश की कि आखिर आरक्षण का आज के समय में युवाओं खासकर विद्यार्थियों के जीवन में क्या महत्व है और महिला सशक्तिकरण संबंधी सरकारी योजनाओं को छात्राएं किस नजरिए से देखती हैं. इन सब सवालों के जवाब जानने के लिए देखिए ये पूरी बातचीत. Hosted on Acast. See acast.com/privacy for more information.
मनोज झा: इंडिया एलायंस, जी-20, संसद का विशेष सत्र और मोदी के हाथ में भाजपा
14-09-2023
मनोज झा: इंडिया एलायंस, जी-20, संसद का विशेष सत्र और मोदी के हाथ में भाजपा
एनएल इंटरव्यू में इस बार राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के राज्यसभा सांसद मनोज झा से बातचीत हुई. इसमें ‘इंडिया’ और भारत के बीच उठे विवाद, जी 20 के आयोजन, एक देश, एक चुनाव, संसद का विशेष सत्र के अलावा मीडिया द्वारा विपक्ष को निशाना बनाने की प्रवृत्ति पर विस्तार से बातचीत हुई. विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के सत्ता में आने के एक सवाल पर मनोज झा कहते हैं, “यदि हमारी पार्टी की सरकार बनती है तो भाजपा को भी आज़ादी मिलेगी. मोदीजी के नेतृत्व में भाजपा की सांस भी फूल रही है. भाजपा को भी आज़ादी की ज़रूरत है.” गठबंधन के नाम को निशाना बनाए जाने और भारत बनाम इंडिया की बहस पर वे कहते हैं, “मीडिया संस्थान कितनी मेहनत करके डॉट लगाकर गठबंधन का नाम लिखते हैं लेकिन पाठक उसे इंडिया ही पढ़ते हैं. हमें ये पता था कि इंडिया नाम रखेंगे तो भाजपा भारत के नाम पर विवाद खड़ा करेगी. इसीलिए हमारी पार्टी ने पहले दिन टैगलाइन निर्धारित की थी- ‘जुड़ेगा भारत, जीतेगा इंडिया.’ भाजपा और कुछ मीडिया संस्थान जिस तरह से हताश हैं, ऐसा न हो कि वो कहने लगें कि सभी नाम खारिज करके देश का नाम जम्बूद्वीप होना चाहिए.”जी ट्वेंटी शिखर सम्मेलन को लेकर झा कहते हैं, “किसी भी देश में ऐसा नहीं हुआ है कि कर्फ्यू और सन्नाटे वाले माहौल में जश्न मनाया गया हो. इसमें लोकतंत्र की खुश्बू नहीं आती है, बल्कि राजतंत्र की बदबू आती है.”इसके अलावा मनोज ने केंद्र सरकार द्वारा 18-23 सितंबर तक बुलाए गए संसद के विशेष सत्र, एक देश, एक चुनाव, पीएम नरेंद्र मोदी के कार्यकाल के दौरान सरकारी संस्थाओं में आए बदलाव और मीडिया के सत्ताधारी पार्टी की तरफ झुकाव आदि विषयों पर बेबाकी से अपनी राय रखी.  Hosted on Acast. See acast.com/privacy for more information.
इंटरव्यू: क्या कहते हैं ‘हू किल्ड मूसेवाला’ किताब लिखने वाले जुपिंदरजीत सिंह  (टीज़र)
07-07-2023
इंटरव्यू: क्या कहते हैं ‘हू किल्ड मूसेवाला’ किताब लिखने वाले जुपिंदरजीत सिंह (टीज़र)
न्यूज़लॉन्ड्री इंटरव्यूज की इस कड़ी में ट्रिब्यून अखबार के वरिष्ठ संवाददाता और लेखक जुपिंदरजीत सिंह से मशहूर पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या पर उनकी नई किताब 'हू किल्ड मूसेवाला: द स्पायरलिंग स्टोरी ऑफ वायलेंस इन पंजाब' को लेकर बातचीत हुई. यह इंटरव्यू एक पॉडकास्ट के रूप में है.अपनी इस किताब में सिंह ने मूसेवाला की हत्या से जुड़े अनेक पहलुओं पर रोशनी डाली है. किताब में वह सिद्दू मूसेवाला और उनके आसपास के लोगों के साथ-साथ, उनकी हत्या से जुड़े किरदारों की पृष्ठभूमि, इस अप्रत्याशित घटना को अंजाम देने वाले आरोपियों और अपराध के ताने-बाने को भी पाठकों के सामने रखते हैं. सिंह ने एक अनुभवी क्राइम रिपोर्टर की नजर से इस पूरे मामले को परखा और पाठकों के सामने एक निष्पक्ष कथानक रखा है.सुनिए पूरी बातचीत.  Hosted on Acast. See acast.com/privacy for more information.
क्यों जान दांव पर लगाकर भी अमेरिका जाना चाह रहे हैं लोग, सब्सक्राइबर्स के साथ बसंत कुमार की बातचीत
25-04-2023
क्यों जान दांव पर लगाकर भी अमेरिका जाना चाह रहे हैं लोग, सब्सक्राइबर्स के साथ बसंत कुमार की बातचीत
ऐसा कौन होगा जो अमेरिका जाने का सपना नहीं देखता होगा? गुजरात में भी ज्यादातर लोगों की चाह अमेरिका जाने की है. अहमदाबाद, गांधीनगर और मेहसाणा जिले के कई गांव ऐसे हैं, जहां आधे से ज्यादा लोग अमेरिका में रह रहे हैं. यहां के गांवों में घूमते हुए लोगों के अंदर अमेरिका जाने की बेचैनी का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है. हमें अपनी पड़ताल के दौरान कुछ लोग तो ऐसे भी मिले हैं जो दर्जनों बार अमेरिका जाने की कोशिश कर चुके हैं. हालांकि, वे असफल रहे और अभी भी उनकी ये कोशिश जारी है. हमने पाया कि कैसे लोगों को देश से बाहर भेजने का एक पूरा तंत्र काम करता है. इस तंत्र में दलाल से लेकर एयरपोर्ट तक की भूमिका होती है.  इसके अलावा, देश से बाहर पढ़ने जाने के लिए छात्र इंटरनेशनल इंग्लिश लैंग्वेज टेस्टिंग सिस्टम (आईईएलटीएस) का टेस्ट देते हैं. गुजरात के शहरों में जगह-जगह आपको आईईएलटीएस की तैयारी को लेकर होर्डिंग्स और दफ्तर नजर आ जाएंगे. आईईएलटीएस भी अवैध रूप से अमेरिका जाने का माध्यम बन गया है. यह सिलसिला कब शुरू हुआ? क्या वजह है कि लोग जान दांव पर लगाकर भी अमेरिका जाना चाहते हैं और कौन आदमी इसमें क्या भूमिका निभाता है? इसकी एक-एक कड़ी कैसे जुड़ती है यह जानने के लिए ग्राउंड से लौटे हमारे रिपोर्टर बंसत कुमार से डिस्कॉर्ड के जरिए जानिए.  Hosted on Acast. See acast.com/privacy for more information.