उल्फत की बातेँ जन्मों के वादे
वो रस्में वो कसमें और जन्नत सी रातें
कितने जवां और कितने थे पक्के
पत्थर की मानिंद तेरे इरादे
फिर भी तूने जुल्म ये ढाया
क्यूँ बेवफा मुझे इतना रुलाया
मोहब्बत थी या फिर आवारगी थी
कैसी वो तेरी दीवानगी थी
कैसी वो तेरी दीवानगी थी........